STORYMIRROR

Jai Prakash Pandey

Abstract

3  

Jai Prakash Pandey

Abstract

जीवन संघर्ष

जीवन संघर्ष

1 min
308

कितनी बार परीक्षा लोगे, 

कितना कर्ज चुकाना होगा, 

कुछ तो दर्द मिटाना होगा,  


फर्ज भी तो हमें निभाना होगा,

रूठों को हमें ही मनाना होगा, 

कितनी और परीक्षा लोगे।। 


कुछ रिश्ते बनकर टूट गए, 

कुछ जुड़ते -जुड़ते छूट गए, 

जख्मों को अभी मिटाना होगा, 


जीवन की पहेली सुलझाना होगा, 

कितनी और परीक्षा लोगे, 

कितनी बार बताना होगा। 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract