जीवन साथी
जीवन साथी


नीरस सूखे से जीवन में, प्रेम पुष्प महकाता है।
अंतर्मन के मंदिर में जो, मूरत बन बस जाता है।
एकाकीपन का भय हर ले, खोले हृदय जकड़ता है।
सुख दुख का साथी वो प्यारा, ऐसे हाथ पकड़ता है।
सोचो साथी बिन जीवन ये, कैसे अपना कट पाता।
किस पर गुस्सा करते हम सब, प्यार उमड़ किस पर आता।
घर संसार बसा कर हमने सुख सारा ही पाया है।
रंग बिरंगे फूलों से इस, जीवन को महकाया है।
जीवन के तानों बानों को, मिलकर के सुलझाया है।
सात सुरों सा नग़मा हमने, साथ-साथ ही गाया है।
होती है तकरार कभी तो, प्यार कभी फिर आता है।
बिन बोले इक दूजे से दिल,चैन कहाँ फिर पाता है।
p>थोड़ी सी तकलीफ़ देखकर, घबराहट ले आते हैं।
खाना पीना नींद समर्पित, उस पर हम कर जाते हैं।
छोटी छोटी ख़ुशियाँ अपनी, निश्चल प्रेम अपार रहे।
जीवन साथी ही जीवन में, जीने का आधार रहे।
कभी झगड़कर आँखों से जब, आँसू बहने लगते हैं।
करवट बदल बदल कर हम तब, सारी रातें जगते हैं।
ताकत, रुतबा मान सभी तो, साथ उसी के मिलता है।
गौरव और सम्मान सुरक्षा, मधुरिम जीवन खिलता है।
जीवन रूपी हम गाड़ी के, पहिये एक समान बने।
साथ साथ जब दोनों चलते, मुमकिन सारे काम बने।
प्रेम त्याग विश्वास समर्पण, रिश्ते की गहराई है।
इक दूजे के बिना अधूरे, बस इतनी सच्चाई है।