जीवन की पहली मार्गदर्शिका माँ
जीवन की पहली मार्गदर्शिका माँ
माँ तुम ना होती तो में ना होती
बिन तेरे ये जहाँ ना जाने कैसा होता
तुमने ही तो संघर्ष करना सिखाया
हर ग़म से हमको लड़ना सिखाया
वो बचपन याद है जब कहानी सुनती थी तुम
पहले हमे खिलाकर बाद में खाती थी तुम
वो प्यारा सा बचपन फिर से पाना है मुझको
माँ तेरे आँचल में फिर से आना है मुझको
जीवन की पहली गुरु मार्गदर्शिका माँ कहलाती है
हर एक सीख सहज लफ़्ज़ों में समझाती है
घर परिवार के हरेक रिश्तेदार से पहचान कराती है
गीता रामायण में देखो माँ की अमर कहानी है
परिभाषितकर कर ना सका कोई मूरत वो बलिदानी है
दया भाव ममता और करुणा ये उसकी परिभाषा है
बला छुए ना बच्चों कोये उसकी अभिलाषा है
हमारी ग़लतियाँ बता आइना दिखाती है
बिगड़े को सम्भालने की कला समझाती है
घर परिवार के हरेक रिश्तेदार से पहचान कराती है
सबकी अहमियत बातों बातों में सिखाती है
माँ जीवन की पहली शिक्षिका मार्गदर्शिका कहलाती है !
