"जीवन की कहानी, वीर रस के रंगीन सफर"
"जीवन की कहानी, वीर रस के रंगीन सफर"
शूरवीर हैं वे, धरती के वीर, खड़े हैं सदा, ध्येय में उनका हृदय अभीर।
लहराती है ध्वजा, ऊंचे शिखर पर, वीरता की वाणी, श्रद्धांजलि उनके ध्वजधार।
सिन्धु से श्वेत सरस्वती तक, चक्रवाती तूफ़ानों में बढ़ते हैं उनके कदम।
घनघोर युद्ध के मैदानों में, वीर बढ़ते हैं, नाम रोशन करते हैं।
ह्रदय में भावना जगाते हैं, वीरता की मिसालें पेश करते हैं।
न शंका का भय, न घृणा का दर, धरती माँ के लाल, वीर हैं तेरे अमर।
नश्वर जीवन की चादर बिछा कर, मातृभूमि के रक्षक, बढ़ते जाते हैं वीर।
सीमाओं पर भी घुस जाते हैं, बलिदान के बदले, विजयी होते हैं।
आओ सलाम करें इन वीरों को, जिन्होंने लहराया वीर रस को।
सदा याद रहें इनके बलिदान, वीरता के मार्ग पर चलें हम भी अपनान।
धरती की रक्षा है सदैव उनका काम, वीर रस से प्रेरित, बन जाएं हम भी धैर्यवान।
