जीवन के बाद
जीवन के बाद
हमारी ज़िन्दगानी बचपन की खिड़की से,
केवल जवानी के दरवाज़े तक ही हुआ है।
बाद में बुढ़ापे के रोशनदान ही तो बचते है,
फ़िर होती जीवन के बाद अंतिम विदाई है।
बचपन कुछ का राजकुमार जैसा होता है,
बचपन कुछ का निर्धनता में गुज़रता ही है।
जवानी प्यार के चक्कर में ज़्यादा रहती है,
कुछ जवानी कामकाज कर बीत जाती है।
बुढ़ापे में नौकरीपेशा लोग रिटायर हुए है,
कुछ मजदूर या सरकारी कर्मचारी हुए है।