जीवन के बाद
जीवन के बाद
किसी भूखे को खाना खिलाते हैं
किसी राहगीर को राह दिखाते हैं
कमज़ोर काया का हाथ थामते हैं
तभी जीवन सार्थक हम बनाते हैं।
अनाथ संतान को जब संभालते हैं
जब कभी बुढ़ापे की लाठी बनते हैं
कोरे कागज़ में रंग जब हम भरते हैं
तभी जीवन सार्थक हम बनाते हैं।
आंखों में बसे सपने हैं तो जीवन हैं
संग हमारे अपने हैं तो ही जीवन हैं।
उसके बाद न हम तुम हैं, न जीवन है
यादों संग बस उजड़ा हुआ उपवन है।