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Neerja Sharma

Abstract

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Neerja Sharma

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जीवन का लक्ष्य

जीवन का लक्ष्य

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मन में गर हो चाह तो कुछ भी किया जा सकता है 

रेगिस्तान में भी बहार को लाया जा सकता है।


भाग्य का सहारा तो आलसी लिया करते हैं 

मेहनतकश तो बंजर को भी हरा भरा करते हैं।


प्रकृति में बहार तो वसंत आने पर आती है  

मन में बहार तो कभी भी लाई जा सकती है।


बहारों के मौसम तो आते जाते रहते हैं पर

गर चाहे मानव तो हर घर में बहार लाई जा सकती है।


कुछ मैं भी जीवन में अलग करना चाहती हूँ

अपने घर व देश में बहार लाना चाहती हूँ।


चाहती हूँ कुछ ऐसा करूँ कि जीवन सफल हो 

माँ-पापा के अरमान व मेरा स्वप्न पूरा हो।


जीवन का लक्ष्य चुन पाना कठिन

सोचूँ हर बार पर निर्णय और भी कठिन।


हर वो व्यवसाय लुभाता है 

जहाँ पैसा अधिक आता है।


फिर मन उचाट हो जाता है 

किसी और लोक में जाता है।


थक कर स्वप्नलोक सैर कर आती हूँ

सुबह नये लक्ष्य को सामने पाती हूँ।


हर बार अच्छे बुरे पहलुओं में फँस जाती हूँ

सब छोड़ मन पढ़ाई में लगाती हूँ।


पढ़ाई के नाम पर बचपन की कहानी याद आती है 

बस !अपना लक्ष्य चुनने में आसानी हो जाती है।


कर लिया फैसला ,बड़े होकर नेक इंसान बनूँगी 

स्वार्थ रहित जीवन यापन सबका भला करूँगी।


सेना में भर्ती होकर, सत्कर्म करूँगी

देश गौरव हित जान न्योछावर करूँगी।


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