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Taj Mohammad

Abstract Action

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Taj Mohammad

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जीवन दायिनी।

जीवन दायिनी।

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जीवन दायिनी,

दुःख हरनी गंगा है...!!!

जो हृदय से कहलाती...

सबकी मां है...!!!


शिव शंकर,

शंभु की जटा से निकली है...!!!

प्रत्येक जीवन में...

दुखों की जो हरनी है...!!!


आगे आगे,

भागीरथी के पदचाप है...!!!

पीछे पीछे देखो...

मां गंगा का प्रवाह है...!!!


कल कल करती हुई,

वह अविरल बहती है...!!!

पर्वतों चट्टानों का सीना चीर,

वह पृथ्वी पर आती है...!!!


यमुना सरस्वती से,

मां गंगा जब मिलती है...!!!

तब प्रयागराज में देखो...

वह संगम बन जाती है...!!!


संगम में स्नान करके...

आत्मा तृप्त हो जाती है...!!!

अंत करण से सबको...

मोक्ष प्राप्ति हो जाती है...!!!


मां गंगा अपने जल से,

शुद्धिकरण करती है...!!!

कुछ ही बूंद के सेवन से,

वह मुक्तिकरण करती है...!!!


हे मानव मां गंगा को,

दूषित करना पाप है...!!!

अंत समय में मां गंगा ही,

जीवन मुक्ति का मार्ग है...!!!



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