जीत या हार
जीत या हार
सींच कर रक्त से जमीन को
कौन सा पौधा उगा रहे हो
अपने ही घर में ये कैसी सेंध लगा रहे हो
जीत रहे हो जग को या मिटा रहे हो
बैठे हो जिस डाल पर
उसी पर कुल्हाड़ा चला रहे हो
बारूद से पल भर को जग सिहरता
किन्तु जग विजय पताका नहीं फहरता
बारूदी बल पर रंज हो जाएगा
आग में जब कोई अपना खो जाएगा
जीत नहीं हार है वो
जिससे जग रो जाए
जीत तो वो है कि बैरी भी अपना हो जाए
जग को जीतना क्या दिलों को जीत लो
युद्ध न हो, ऐसा कोई बीच लो।