जीत जायेंगे हम
जीत जायेंगे हम
आज ये पहली बार नहीं,
पहले भी जीते है,
लड़ाई ऐसे रोगों से,
इस बार भी जीत जायेंगे हम,
सुना था अपने पुरखों से,
रोग आये थे पहले भी अनेक,
कुछ के नाम ऐसे थे,
चेचक, प्लेग, हैजा, पोलियो भी
है लक्षण इनके ख़तरनाक,
छूने से भी फैलते ये,
स्वच्छता से रहे सब,
जीत गये थे हम उनसे भी,
इस बार इससे भी जीत जायेंगे हम |
पोलियो ने जब पैर पसारे,
भारत थोड़ा घबराया था,
डटकर किया मुकाबला,
स्वस्थ मुस्कान ले आये थे,
नाम हुआ विश्व में
भारत का पोलियो-मुक्त
देश कहलाया था,
जीत गये थे हम तब भी,
इस बार भी जीत जायेंगे हम |
काली मौत कहुँ इसे,
तो कुछ गलत नहीं होगा,
बन के काल आया था,
ये भी प्लेग कहलाया था,
नाम भयंकर,
जानकर फिर से,
थोड़ा घबराया था,
जीत गये थे तब भी हम,
अबकी बार भी जीत जायेंगे हम |
सुना फिर एक और नयी बीमारी,
नाम थे उसके अनेक,
शीतला, बड़ी माता,
स्मॉलपॉक्स भी वही था चेचक,
शरीर में ऐटन, ज्वर,
गलशोथ, खाँसी,
थे लक्षण इसके पहले,
फिर लाल-लाल
रंगीन धब्बे इसके
ललाट और पुरे शरीर पर
बन आते,
पर हम घबराये नहीं
जीत गये थे इस जंग को भी
इस बार भी जीत जायेंगे हम..
पहले नादान, थोड़े अनजान थे,
शिक्षित ना थे पहले इतने,
सुविधाएं है अधिक अब,
टीवी, मोबाइल, इंटरनेट का दौर,
समझाने को बहुत से अब,
हाथ जोड़े प्यार से...
जीत गये थे हम तब भी,
इस बार भी जीत जायेंगे हम|
कोरोना नामक महामारी से
फैली जो पुरे जग में,
सोशल डिस्टेंस बनाकर,
हाथ धोकर अपने, मास्क पहन कर
बिन काम घर से ना निकल कर,
जहाँ हैं वहाँ रहकर....
इसे भी हरा पाएंगे,
जीत गये थे हम तब भी,
इस बार भी जीत जायेंगे हम |
