मिट्टी के दीये
मिट्टी के दीये
दीप जलाओ खुशियों के
मिटा दो अंधियारे दिलों के
देखो ! आ गई है दीवाली
फिर खुशियों की बारात ले के
रंग रोगन देखो सब पुराने हुए
चलो फिर से नया करते हैं
खुद भी हंसते, सबको हंसाते हैं
ले आना तुम भी इस दीवाली को
मिट्टी के दीये, तेल, रूई की बाती को
छोड़ लड़ियाँ लाल पीली गुलाबी को
अब तक पैसें वालों से बहुत खरीदें
चलो ! इस बार खरीदें अम्मा से
जो बैठी है सुबह से चौराहे पर
ले मिट्टी के दीये
मोल-भाव यहां तुम मत करना बस
दो रुपये का है एक दीया..
