अद्भुत नज़ारे
अद्भुत नज़ारे
कमलनयन जागे निंद्रा से, सुन कोतुहल को
अरुणोदय देखा, सुनहरी धुप, सुगंधित हवा
पंछीयों का कलरव सुन ह्रदय पटल गदगद हुआ
मधुर वचन बोले कंगना से, ह्रदय मेरा अभिभूत हुआ
साफ सुथरी सड़के, बहुमुखी चौराहे देखे विभाजक पर
मुस्कुराते फूल देख अंग मेरे प्रफुल्लित हुए
पानी से भरे खेतों में मुस्कराती फसलों के धोरों में
मध्यम सी पवन के हिलोरे से आलिंगन के वशीभूत हुए
विशालकाय वृक्ष, घनी शीतल छाया
प्रकृति का आनंद, मेरे ह्रदय को महसूस हुए
जब मैं गुजर रहा था पंजाब से ऐसे अद्भुत नजारे हुए
खेतों से निकला जब मैं, हिमगिरि के आँचल पहुँचा
बर्फ से ढका अचल, बलखाती सड़के देखी
नभ को छूते अचलों की गोद में दुलारते गाँव देखे
गगनचुम्बी पेड़ों से, छोटी छोटी झाड़ियाँ भी देखी
अद्धभुत नज़ारे, हर तरफ हरियाली देखी..
भारतभूमि है देवभूमि, मंदिर है अप्रतिम,
घंटियों की मधुर अद्भुत ध्वनि भक्तों की भक्ति देखी
हिमालय से निकली सरिता, हिमगिरि का ह्रदय ललिता,
जब मैं गुजर रहा हिमाचल से ऐसे अद्भुत नजारे देखे
हरियाली को छोड़ पीछे, तुषार अचल आते देखे
शशिबिंब धवल धरा, चहुँओर हिम से अड़ा
बलखाती सड़के नवल, गिरिमध्य अनंत
सेतु शोभायमान, हिमनीर बहता सरिता सदृश
गगनचुम्बी पर्वतशिखर, थाह छूती घाटीयाँ देखी
प्रकृति के गजब नजारे, भानु करता आँखमिचोंली,
हिमह्रदयमद्ये सडके गुजरती, हिम पिघलती नदियां देखी
आगे अभी और है जाना, मुझे मेरी मंजिल पाना,
मधुर स्वर, सुगंधित पवन, हर जन्म मेरा भारत मे पाउँ,
भारत धरा पर जब मे घुमा, ऐसे अद्भुत नजारे पाए।
