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Neeraj pal

Inspirational

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Neeraj pal

Inspirational

जीने का मकसद

जीने का मकसद

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वक्त नहीं बचा अब संभलने को, कब तेरे समझ में आएगा।

सूर्य अस्त जब होने को होगा ,प्यारे तू पछताएगा।।


हर घड़ी तेरी परीक्षा होगी, तू जान तक ना पाएगा ।

कर्मों का जब संस्कार बनेगा तब तेरी समझ में आएगा।।


सुख-दुख तो है जीवन का हिस्सा इस में ही खप जाएगा।

तब तुम याद प्रभु को करोगे, जो इससे मुक्त कराएगा।।


वही तेरा विघ्नहर्ता होगा, तू उसको ही अपनाएगा।

भव-पार तुझे वो ही करेगा ,तब कहीं तू शांति पाएगा।।


तब जानेगा जीने का मकसद ,जब आयु अल्प रह जाएगी।।

समय बिताया व्यर्थ जो तुमने ,वह कभी फिर वापस ना आयेगा।।


जब जागो तब वही सवेरा, क्यों समय व्यर्थ बितायेगा।

वक्त रहते अभी भी संभल जा, ध्रुपद को पा जायेगा।।


भजन अभी भी "प्रभु" का कर ले, वही राह दिखलायेगा।

"नीरज" तू क्यों व्याकुल बैठा ऐसे ही जीवन कट जाएगा।।


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