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karan ahirwar

Abstract

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karan ahirwar

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झूठ की सच्चाई

झूठ की सच्चाई

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एक सच्चाई है कैद

झूठ के साए में कहीं

बना के बंदी दवाब डालता है

धर्मांतरण चाहता है

कहता है सच है तू तो

आज़ाद क्यूं नहीं

और है प्यार लोगों को तुझसे

तो तेरी फिक्र क्यूं नहीं

क्यूं नहीं पूछते तेरा हाल

क्यूं बस चले मेरे सहारे

क्यूं हाथ पकड़े सिर्फ मेरा

जब निकलना चाहे किसी जंजाल से

क्यूं तेरे अनुयायियों की आवाज़ बंधक

क्यूं मेरे अनुयायियों की दुनिया दीवानी

अगर है तू मुझसे ऊपर

मुझसे बलवान और शक्तिशाली तो

क्यूं है मेरे पैरो तले

क्यूं मेरी कोठरी मे कैद है

है अब्बल तो हो जा आजाद और

कर दे नजरबंद मुझे इन्हीं सलाखों में।।

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