ज़हरीली हवा
ज़हरीली हवा
बनी है जब से ये सुंदर दुनिया,
तब से है सबको मिले पानी और हवा।
इंसान की हमेशा ही मदद किया,
पेड़, पौधे और पशु पक्षियां।
जब बिगड़ा उसी इंसान का दिमाग,
काटे उसने जंगल और लगा दी आग।
हवा को शुचि करने वाले पेड़ न रहे,
शुद्ध हवा के लिए सब तरसने लगे।
फिर भी सह रही थी धरती ये बोझ,
तभी इंसान ने पैदा किया एक और नया रोग!
बड़ी बड़ी गाड़ी और ढ़ेर सारा धुआं,
गुम हुई उसमें हमारी शीतल हवा।
फिर इमारतें बनी और बने कारखाने,
कितना जेहेर उगलती वो, भगवान भी न जाने!
प्रदूषण इतना फैला की हिल सी गई धरती,
लोग होने लगे हस्पताल में झुंड में भर्ती।
ए बेवकूफ इंसान अब तो सुधर जा,
वरना जल्द ही निगल जाएगी तुझे ये जहरीली हवा !