जगत में चहुं दिस पनपे प्यार
जगत में चहुं दिस पनपे प्यार
ये जीवन और तन है हमें
प्रभु का अनुपम उपहार।
इस साधन और अवधि में
करना है सब सोच विचार।
सदा रहेगा यह तन नहीं
रखना ये हरदम ही ध्यान।
जो लक्ष्य दिया प्रभु ने हमें
पूर्ण करके है करना प्रस्थान।
नश्वर हैं भौतिक साधन सभी
मगर हैं ये जीवन के आधार।
ज्ञान की अखंड ज्योति जगाइए
जगत में चहुं दिस पनपे प्यार।
