जब कलम से हुई दोस्ती
जब कलम से हुई दोस्ती
दिल बेकरार था
बिखरे सपनों को लेकर
मन बेचैन था
असमंजस भावनाओं को लेकर
आंखें अशांत थी
उछलती आंसुओं को लेकर
माहौल उदास था
बिगड़े रिश्तों को लेकर
कुछ परेशानियां थी
कुछ उलझनें थी
और इसी कशमकश में हुई
कलम से दोस्ती
जो एक सच्चा दोस्त बनकर
अनमोल सपनों से मिला
भावनाओं का मोल समझा
लिया कागज़ का सहारा
और बहा दी शब्दों की धारा
जो दिल से निकलकर बह गए
टूटे अरमान और रूठे सपनों को लेकर
फिर चमक उठे आंखों के किनारे
समेट के दिल के मोती जो थे बिखरे
कुछ नए अरमानों को जगाया
कलम ने क्या खूब रंग दिखाया !
