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Muzammil Raza

Romance

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Muzammil Raza

Romance

जानां ‌‌

जानां ‌‌

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कुछ नहीं होगा अब बयां जानां।

ख़त्म होती है दास्तां जानां।

कैसे बोलूं के तेरे जाने से,

लुट गया मेरा कारवां जानां।


अब मिलूंगा नहीं कभी तुम को,

मैं चला सू-ए-आसमां जानां।

ये जो तुम दूर हो गयी मुझ से,

आ गया कौन दरमियाँ जानां।


बिन तुम्हारे ये हाल है मेरा,

आब बिन जैसे मछलियाँ जानां।

तुम ने बोला था ये मुज़म्मिल को,

इश्क़ होता है जावेदां जानां।



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