STORYMIRROR

Dr. Poonam Gujrani

Inspirational

3  

Dr. Poonam Gujrani

Inspirational

जागरण के बाद

जागरण के बाद

1 min
287


यतीम होते

सपनों को

संवारने की

कोशिश में 

टूटती हूँ अक्सर

पारे की तरह

और बिखरने के

सीमांत पर

जुडती हूँ पूनः

चुंबक की तरह


बोने लगती हूँ

आशा के बीज

करने लगती हूँ

सपनों की खेती

और सोचती हूँ

किसी अलसाई

भोर में

आए एक मीठा

सपना

जो सच हो जाए 

जागरण के बाद।

       



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational