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Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational Others

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Vijay Kumar parashar "साखी"

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जागकर-सोना

जागकर-सोना

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जाग कर भी में तो सो गया हूं

बड़ी मुद्दत के बाद रो गया हूं


मुझ को अब और न सताओ 

मैं तो मर कर जिंदा हो गया हूं


काजल की तरह हो गया हूं

मैं चाँद का दाग हो गया हूं


मैं बिना बात ही बदनाम हूं

लोग कहते है मैं एक आम हूं


अब और क्या शिकायतें होगी

टूटे दरख़्तों का साया हो गया हूं


सब कहते है, बड़ा खुश मिज़ाज हूं

दिल का बड़ा ही जिंदा दिल बाज हूं


पर मेरे ख्यालात वो ही जानते है

जिनके लिये में नकारा हो गया हूं


बुलंदिया भी अब शर्माने लगी है

वो मुझसे अब टकराने लगी है


पर वो चोटियाँ शायद ये भूल गई है

ठोकरे खाकर में पक्का हो गया हूं



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