जाग अब तू जाग आज
जाग अब तू जाग आज


जाग आज तू जाग आज,
ला अपने अंदर वो आवाज,
जाग नारी तू जाग आज,
बनाना तुझे नया समाज,
खुद के लिए एक नया से साज
भर हुंकार तू भर हुंकार
तोड़ सब तू भेद भाव
तू कर सकती ये काज
बदल आज ये तू समाज
कदम तुझे ही बढ़ाना है,
है मौन को मिटाना है
तू वस्तु नही कोई खेल नही,
जननी तू गुरु रूप में खिली
मिटा अंधकार,तोड़ हर पाश
बना आज तू नया समाज
तोड़ हर रावण का मान
उठा तलवार और ले सम्मान
सिखाना होगा हर दैत्य को सबक
देना होगा यह पाठ अब
तू वस्तु नही,कोई खेल नही
दुष्टता का चलेगा खेल नही
गढ़ हर संतान वीर सैनानी
जिसने दुष्टता मिटाने की हो ठानी
नर पिशाचों की अब खैर न हो,
अब वहशीपन का दौर न हो
जाग अब तू जाग जा
हर नर को कर्तव्य सिखाती जा
पुरुषत्व तेरा रक्षा में है,
हर नारी के सम्मान में है
तू जागेगी तो जग जागेगा,
तभी हर दानव भागेगा।।