जादू की छड़ी
जादू की छड़ी
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कोई तो दे दो जादू की छड़ी
बितानी हैं मुझे पापा के साथ फिर कुछ घड़ी
कितना कुछ कहना हैं उनसे
कितनी चीजें दिखानी हैं
उनकी परी अब जिद भी नहीं करती
ये बाते भी तो बतलानी हैं।
खड़ा होना सीखाया था उन्होंने
मैं अब चलना सीख गई हूँ
उनके साये के बिना में
धूप में जलना सीख गई हूँ।
अब अंधेरों से डर नहीं लगता
ये बातें भी तो बतानी हैं
वक्त के पहले समझदारी के
किस्से भी तो सुनानी हैं।
कोई तो दे दो जादू की छड़ी
हाँ मुझे बितानी हैं
पापा के साथ फिर कुछ घड़ी
छोटी थी तो सब कहते थे
वो बन कर तारे हमें देखेगे
मेरे रोने पर उन्हें बुरा लगेगा
वो बन के बादल बरसेगे।
मैंने रोना अब छोड़ दिया
ये बातें भी तो बतानी
हँस कर कुछ पल मुझे
पापा के साथ बितानी हैं
कोई तो दे दो जादू की छड़ी
बितानी हैं मुझे पापा के साथ
फिर कुछ घड़ी।