हम फिर मिलेंगे कहीं न कहीं
हम फिर मिलेंगे कहीं न कहीं


हम फिर मिलेंगे कहीं न कहीं
कब कहाँ किस जन्म पता नहीं
पर हम मिलेंगे कहीं न कहीं
शायद तेरी यादों में बहे आँसू
की बूंदे के परछाईं में कहीं
जिसे सहेज कर रखती हैं,
मेरी झूठी मुस्कान ही सही
हम फिर मिलेंगे कहीं न कहीं
पता नहीं कब कहाँ किस मोड़ पर
शायद उन गुजरती राहों में कहीं
जहाँ गुजारा थे खुशी के कुछ
पल ही सही
गुजरोगे जब भी उन रास्तों से
अकेले कभी
बन कर हवा हो जाउगी तेरे
संग मैं भी
हम फिर मिलेंगे कहीं न कहीं
मुझे नहीं पत ! ये दूरियाँ,ये जुदाई
क्यों हमारे बीच हैं आई
पर जाना ये दूरियाँ
मिटा नहीं पाएगी हमारे रिश्ते
की गहराई
वक्त की रफ्तार में तुम मुझे भूल
भी जाओ अगर कहीं
तेरी यादें हमेशा रहेगी हम सफ़र मेरी
हम फिर मिलेंगे कहीं न कहीं
इस जन्म नहीं, उस जन्म नहीं
इस जहाँ में ना सही उस जहाँ से भी
बन कर तारे टूट जाएंगे
हम तुम्हारे लिए फिर कभी ना कभी
हम फिर मिलेंगे कहीं न कहीं