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पता नहीं कब कहाँ किस मोड़ पर शायद उन गुजरती राहों में कहीं पता नहीं कब कहाँ किस मोड़ पर शायद उन गुजरती राहों में कहीं
कोई तो दे दो जादू की छड़ी बितानी हैं मुझे पापा के साथ फिर कुछ घड़ी। कोई तो दे दो जादू की छड़ी बितानी हैं मुझे पापा के साथ फिर कुछ घड़ी।
आज आपकी ऊँगली पकड़ी है कल लाठी ज़रुर बनूँगी आज आपकी ऊँगली पकड़ी है कल लाठी ज़रुर बनूँगी
तेरे लिए न जाने वो कितनी रातें जगी हैं उनके इस बलिदान को तू यूं गंवाया न कर। तेरे लिए न जाने वो कितनी रातें जगी हैं उनके इस बलिदान को तू यूं गंवाया न कर।