इश्क़ का हर भ्रम अब तोड़ना होगा
इश्क़ का हर भ्रम अब तोड़ना होगा
इश्क़ का भरम अब तोड़ना होगा
राहे-सफ़र में तुजको अब छोड़ना होगा,
मन्जिल मेरी है तुझसे बहुत दूर कही,
इन रास्तों से अब मुझे रुख मोड़ना होगा,
जायेगी दूर तक याद तेरी
मेरे हर सफर के साथ,
इस टूटे हुए दिल के टुकड़ों को
फिर से अब जोड़ना होगा,
जिक्र रहता है हर बार
तेरा जब होती है तेरी बात
लगता है उस बात को
अब भूलना पड़ेगा।
मैं आज भी कलम उठता हूं तो
तुझे ही लिख देता हूं मेरी यादों के साथ।
लगता है अब इस क़लम से भी
रिश्ता तोड़ना होगा।