इश्क का कारोबार
इश्क का कारोबार
वो इश्क का कारोबार कहां है
ठगते दिलों का व्यापार कहां है।
बहुत धोखा खाए बैठे कुछ यार
सबक का लुटता बाजार कहां है।
बहुत जख्म छोड़ जाता है इश्क
जख्मी दिलों का घरबार कहां है।
दिल में आवाजाही तो आम है
दिल में बसा सरकार कहां है।
बड़ी मिशालें देता है ये जमाना
आशिकों का सरोकार कहां है।
दिल में उतरना बड़ा आसान है
बमुश्किल सा व्यवहार कहां है।
सहमे आशिकों को देख 'सिंधवाल'
हंसता जमाना लाचार कहां है।