इश्क हैं
इश्क हैं
दीवानों का घर बार...
इश्क़ है...
कोई मेला कोई बाज़ार...
इश्क़ है...
हर मजहबी भेद से ऊपर उठ कर...
होलीद सा कोई त्योहार...
इश्क़ है...
चाय की घूँट घूँट के साथ...
कतरा कतरा खत्म होता इंतज़ार...
इश्क़ है...
बासी यादों की सौगात समेटे...
कल का कोई अखबार...
इश्क़ है...
रोटी की चकरी में हर रोज़ पिसता है...
उस मज़दूर के खाते का इतवार...
इश्क़ है...
आँसू की हल्की फुहार के साथ...
ज़ज़्बातों की एक बयार...
इश्क़ है...
जन्म दिया जिसने उसको कैसे भूलूँ...
उसकी ममता की ठंडी बौछार...
इश्क़ है...
हर कलम की बहती स्याही...
हर शायर की ग़ज़ल का श्रृंगार...
इश्क़ है...
ज़िन्दगी की नदी बह रही है तेज़ बहुत...
उस पार मेरी मंज़िल और इस पार...
इश्क़ है...
ताबूतों में बन्द है लेकिन ज़िंदा हैं अब भी 'देव'...
ना जाने कितनी कहानियों का कलमकार...
इश्क़ है...
जब तेरे लिए अश्क बहें उसकी आँखों से...
बस तब समझ लेना मेरे यार...
इश्क़ है...