इश्क़ आबाद हो
इश्क़ आबाद हो
इक खुबसूरत याद हो तुम,
सितारों से सजी इक रात हो तुम,
जिसने रोशन मेरी ज़िंदगी को कर दिया है,
वो ही सुनहरे मेहताब हो तुम।
ग़मो से मेरी जो मुझे आज़ाद करे,
ऐसे सुकुन का अशियाना हो तुम,
सारी ज़िन्दगी मैं जिसके साथ चलना चाहूँ,
वो आशना मेरी जान हो तुम।
रंजिशे ही सही दिल में,
पर प्यार भी गहरा है,
तेरे साथ गुजरे वक़्त की यादों का,
मेरे दिल पे आज भी पहरा है।
खुदा कसम तुम मेरे इश्क़ की,
इबादत हो तुम ही तो मेरे,
दुआओं को मिली रब की इनायत हो।
दिल की आखरी तम्मना है,
इक मुख़्तसर मुलाकात हो मशरूफ,
ज़िन्दगी में फकत एक यादगार रात हो,
जो सारी शिकायते दूर कर दे ऐसी कोई बात हो।
जो सुकून से भर दे ज़िन्दगी भर की यादें,
कोई ऐसा उनमें लम्हात हो,
बारिश की बूंदे हो या आँखों के आँसू,
गिरे दोनों दामन पर और,
उल्फत की नयी शुरुआत हो।
प्यार रहेगा बा-उम्र ये उसमें ऐतबार हो,
और कुछ इसी तरह,
फुरक़त में भी इश्क़ आबाद हो,
फुरक़त में भी इश्क़ आबाद हो।