इस पीड़ा का अंत नहीं?
इस पीड़ा का अंत नहीं?
मेरी इस पीड़ा का कोई अंत नहीं है।
मेरी रूह पर निरंतर वार किए गए हैं।
मेरे पुराने घाव ही नहीं भर पा रहे हैं।
न बातों से , न आंसुओं से , न मरहम से , न बेहोशी में
ये बस और गहरे होते जा रहे हैं।
शायद ये आजीवन ऐसे ही रहे ।
बेदर्द , मौन , रूहानी पीड़ा से भरे हुए।
इनका कोई इलाज नहीं है ।
ये कभी नहीं भर पाएंगे।
इस पीड़ा का कोई अंत नहीं।।