इस बरसात में
इस बरसात में
छोटी छोटी खुशियों में, दिल की मस्त गलियों में
कब से इंतजार है दिल को तुम्हारा, इस बरसात में
हौले-हौले छम-छम करती, आती है ये बरसातें
दिल प्रेम में तेरे कान्हा,भींग उठा इस बरसात में
ना जाने कब से अँखियाँ ये तरस रही तेरे इंताजर में
क्या प्रीत मिलन की हो पाएगी, इस बरसात में
मधुर मिलन को तड़पता है दिल, मन बेचैन हो जाता
कैसे निहारूँ तेरी सूरत, अबके इस बरसात में
दरस तुम्हारा कब पाएगी,अँखिया ये पूछ रही है
पल -पल तेरे विरह में तरसे, फिर इस बरसात में।