पास होकर भी दूर हो गए
पास होकर भी दूर हो गए
पास हो कर भी,
न जाने क्यों दूर हो गए.....
वक्त के हाथों,
न जाने क्यों मजबूर हो गए....
कुछ गलतियां हमने की,
कुछ खता उनसे हो गई....
था जो रिश्ता चट्टान सा मजबूत,
आज उसकी इमारत क्यों हिल गई...
जो रूठा यार मेरा,
तो हम उसे मना लेते.....
पर जो बदल गया है,
उस से क्या शिकवा शिकायत करते...
खुश रहे वह सदा,
हमारी दुआओं में वो हमेशा
शामिल रहेगा,
फासले कितने भी आ जाए दरमियान,
उसकी एक आवाज का हमेशा हमें
इंतजार रहेगा.......