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Raj kumar Indresh

Romance

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Raj kumar Indresh

Romance

ग़ज़ल

ग़ज़ल

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आज तेरी याद फिर से मुझे सताती है ।

शीतल रातों में नींद मुझे आती नहीं है।।


क्यों भाग रहा इस दौलत के वास्ते तू। 

मरने पर यह साथ तेरे जाती नहीं है ।।


रोग यह अजीब लगा तो अब मुझे है।

किसी की दुआ काम आती नहीं है।। 


समझ दिल की तरंगों को अब तो तू। 

पास आ बाँहों में तू लेता क्यों नहीं है ।।


पास न पा तुझे अपने भी पराये होते।

उमड़ सावन में बादल बरसते नहीं हैं।।


आर्द्रा नक्षत्र में भी निरभ्र जीवन मेरा।

बादल घुमड़ प्रेम-दुन्दुभी बजी नहीं है।।


आज तेरी याद फिर से मुझे सताती है।

शीतल रातों में नींद मुझे आती नहीं है।। 



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