ग़ज़ल
ग़ज़ल
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जिंदगी मिली है तो प्यार और टकराव भी मिलेगा।
कहीं अपनो से प्रेम तो दुश्मनों से सामना भी होगा।
जिंदगी मिली है तो समपथ और पत्थर भी मिलेगा।
कहीं होगी प्रशंसा तो नाराजगियों का ढेर भी होगा।
जिंदगी मिली है तो संबंध और बिछोह भी मिलेगा।
कहीं अंतर्मन से प्यार तो दिखावा भी बहुत ही होगा।
जिंदगी मिली है तो दुआ व भाव-दुर्भाव भी मिलेगा।
कहीं खुशामदें तो पीठ पीछे आलोचना का ढेर होगा।
जिंदगी मिली है तो नये रिश्तों में भी खिंचाव मिलेगा।
कहीं कर्तव्य पथ पर तो जिंदगी का पड़ाव भी होगा।
जिंदगी मिली है तो सावन में सागर सूखा भी मिलेगा
कहीं जेठ माह में बिन बादलों बारिश का पानी होगा।
