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Raj kumar Indresh

Inspirational

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Raj kumar Indresh

Inspirational

कविता

कविता

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घर छोड़, सड़कों पर आये हैं 

तो जीत कर जायेंगे। 

कसम उन कच्ची फसलों की 

जिन्हें खेत में छोड़ आये हैं। 

सियासत सुने या न सुने 

अलख जगा कर जायेंगे। 

वक़्त आने पर हम 

तख़्त भी पलट कर जायेंगे। 


घर छोड़, सड़कों पर आये हैं 

तो हक लेकर जायेंगे। 

कसम उस पगडंडी की 

जिससे वादा कर आये हैं। 

भूखे रहें या प्यासे अब 

तो जीत कर जायेंगे। 

हैं दृढ़ संकल्पित हम 

किसान जीतकर जायेंगे। 


घर छोड़, सड़कों पर आये हैं 

तो न्याय लेकर जायेंगे। 

सौगंध उस हल की 

जिसे खेत में निरीह छोड़ आये हैं 

भूखे प्यासे गौधन को 

न्याय दिलाकर जायेंगे। 

बिना उचित न्याय के 

वापस नहीं जायेंगे। 




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