दौड़ पड़ती हूँ आज भी उन्हीं पगडंडियों से.... फिर से बच्ची बन जाती हूँ दौड़ पड़ती हूँ आज भी उन्हीं पगडंडियों से.... फिर से बच्ची बन जाती हूँ
अब मैं ख्वाबों में अक्सर खुद को उस पगडंडी पर पाती हूं ! अब मैं ख्वाबों में अक्सर खुद को उस पगडंडी पर पाती हूं !
बूंदें न डालो ठंडी ओ बादल!!! बूंदें न डालो ठंडी ओ बादल!!!
खोने लगी अँधेरों में हो गई उदास वह अब उस पर इलज़ाम लगाता की बदल गई है वो पहले सी नहीं... खोने लगी अँधेरों में हो गई उदास वह अब उस पर इलज़ाम लगाता की बदल गई ह...
सुर्ख नयन, विषाद संकुलित, हिय घट, छलित. सुर्ख नयन, विषाद संकुलित, हिय घट, छलित.
लेखक की माँ बचपन में ही गुज़र चुकी है और जब भी वो अपने गाँव नानी के यहाँ जाता है तो वहाँ की पगडण्डी, ... लेखक की माँ बचपन में ही गुज़र चुकी है और जब भी वो अपने गाँव नानी के यहाँ जाता है ...