बस इसी उम्मीद में....
बस इसी उम्मीद में....
तुम्हारे ख्यालों की दुनिया में
सदियों से तो जी रही हूँ मैं
प्रीत के धागों से बुन रही हूँ
तुम्हारे लिए मुहब्बत का मफलर
मेरा दीवानापन इस कदर बढ़ गया है
तुम्हारे साथ महसूस किये
इक लम्हे में कई सदियां जी लेती हूँ
तुम्हारे इश्क के खुमार में मदहोश सी
प्रेम गलियों में भटकती हूं
मेरी धड़कनों के वीणा पर
बजते तारों में केवल
तुम्हारे नाम की धुन बजती है
तुम्हारी याद में न जाने कितने
गीत -गजल लिख चुकी हूं
मेरी चादर की सिलवटों में छिपे हैं
मेरी तन्हा रात के फसाने
मेरी सिसकियों को सुनना ,गौर से
मिलेंगे इश्क के तराने
मैं जोगन सी फिरती हूं
तुम्हारा नाम ले लेकर
जी रही हूं हर इक लम्हा
तुम आओगे ,बस इसी उम्मीद में।