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सीमा शर्मा पाठक सृजिता

Romance

4  

सीमा शर्मा पाठक सृजिता

Romance

बस इसी उम्मीद में....

बस इसी उम्मीद में....

1 min
201


तुम्हारे ख्यालों की दुनिया में 

सदियों से तो जी रही हूँ मैं 

प्रीत के धागों से बुन रही हूँ

तुम्हारे लिए मुहब्बत का मफलर 

मेरा दीवानापन इस कदर बढ़ गया है 

तुम्हारे साथ महसूस किये

 इक लम्हे में कई सदियां जी लेती हूँ 

तुम्हारे इश्क के खुमार में मदहोश सी

 प्रेम गलियों में भटकती हूं 

मेरी धड़कनों के वीणा पर 

बजते तारों में केवल 

तुम्हारे नाम की धुन बजती है 

तुम्हारी याद में न जाने कितने 

गीत -गजल लिख चुकी हूं 

मेरी चादर की सिलवटों में छिपे हैं 

मेरी तन्हा रात के फसाने 

मेरी सिसकियों को सुनना ,गौर से 

मिलेंगे इश्क के तराने 

मैं जोगन सी फिरती हूं 

तुम्हारा नाम ले लेकर 

जी रही हूं हर इक लम्हा 

तुम आओगे ,बस इसी उम्मीद में।



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