इंतझार
इंतझार
दिलके दरवाझे पे दस्तक लगता है कोई,
धुंधले साऐ जैसा नझर आता है कोई,
दिल में होती है अजीबसी कशमौकश,
जब ख्वाबों में चुपकेसे चला आता है कोई.
झीन्दगी में ईक ऐैसा मोड़ भी होता है,
जब सन्नटों में ईक शोर भी होता है,
तनहाईकी चींखो पुकार में,
मोहब्बतके नगंंमे सुनाता है कोई.
फिझाएं ये पैग़ाम लाई है,
तुमसे मिलने का पयाम लाई है,
कैसे करे हम तुमपे ऐंतबार,
यूं बेवजह किसी को सताता है कोई.
झीन्दगी गुझर गई तेरे इंतझ़ार में,
सासै भी थक गई तेरे इंतझार में,
ऐै बेचैन धड़कने तूही बता,
यूंभी इंतझार करवाता है कोई.
हमतो हुऐ फना अब चले आओ,
है झीन्दगी मौतके दरमिया अब चले आओ,
ऐै थमती सासे झरा ठैहैरजा,
हमसे मिलने बस आता है कोई.

