इंतज़ार और ख़्वाब
इंतज़ार और ख़्वाब
एक तेरा ख़्वाब सजाये बैठा हूँ,
मैं तो तेरे इंतज़ार में बैठा हूँ।
ले आ आज आब-ए-सुकून
दिल में आग लिए बैठा हूँ।।
एक याद जो दिल में है मेरे,
इन्ही यादों को संजोये बैठा हूँ।
जिस किरदार से इश्क़ है तुझे,
वही एक कहानी लिए बैठा हूँ।।
जो अपने रूह से जोड़ा था तूने,
आज बेजान जिस्म लिए बैठा हूँ।
अंतिम रोज जब दिखी थी मुझ को,
उसी रोज को ईद मान बैठा हूँ।।

