सोच मेरी और उनकी
सोच मेरी और उनकी
दूर दराज़ रास्तो में कहीं ,
एक नज़रिया नजर आएगा।
कभी न डरना मौत से वीरों
मौत तो एक बहाना है।
लहू से सींच कर जिसे,
हमने बड़ा किया, साहिब
एक रोज जातीय सियासत में
उसके मौत की खबर आएगी।।
शौक पूरा हुआ, शौक छोड़ कर
एक रोज शौक का समर आएगा।
जान से जान जब अलग होगा,
मुमकिन है जान पर कहर आएगा।।
चल वहां , जहाँ चाँद शर्माये नहीं
लौट कर, सूरज बेअसर आएगा।
छिप जाएगा फिर वो बादलों में
ऐसी दुनिया में क्या नजर आएगा।।

