Chitra Yadav
Abstract
दिल के नशेमन में
चराग कुछ मद्धम से हैं
हवाओं के मद्धम साज़ पर
चिलमनों के थिरकते साये, और
हसरतों की महकती सांसों की
है ज़ुम्बिश भी...
लगता है तेरा इंतज़ार
सुस्ता रहा है यहां कहीं..!
अफसोस
दोस्त
हमारी ख्वाहिश...
इश्क
रिश्ते
इंतजार
खामोश मोहब्बत
अपने
सौरभ
कविता
बना के छत्ता शहद का देती स्वाद बहुतेरे, देख यह सब बरसे बरखा भी जम के। बना के छत्ता शहद का देती स्वाद बहुतेरे, देख यह सब बरसे बरखा भी जम के।
कितनी ही यादें ले आता है हर सावन याद आ जाता है बचपन वाला सावन। कितनी ही यादें ले आता है हर सावन याद आ जाता है बचपन वाला सावन।
जिसकी छांव में, हमारा देश सुख समृद्धि से भरपूर होगा। जिसकी छांव में, हमारा देश सुख समृद्धि से भरपूर होगा।
इस बात पर हमको नाज रहें। सबसे ऊंचा रहे तिरंगा, बस बात यही आबाद रहे।। इस बात पर हमको नाज रहें। सबसे ऊंचा रहे तिरंगा, बस बात यही आबाद रहे।।
हर दिल पत्थर नहीं मोम भी है l अपने दोष पर पर्दा डाल कर सच पर भी गुर्राओगे ? हर दिल पत्थर नहीं मोम भी है l अपने दोष पर पर्दा डाल कर सच पर भी गुर्राओगे ?
प्रकृति को धानी चूनर ओढ़ाओ, गर्मी से राहत दिलवाओ।। प्रकृति को धानी चूनर ओढ़ाओ, गर्मी से राहत दिलवाओ।।
अवलम्ब अगोचर शम्भु सदा, निज भक्तन को नित मान दियो।। अवलम्ब अगोचर शम्भु सदा, निज भक्तन को नित मान दियो।।
मेरे दिल में तुम्हारे लिए अपनापन है, पर ज़ाहिर करूं मेरी फितरत नहीं। मेरे दिल में तुम्हारे लिए अपनापन है, पर ज़ाहिर करूं मेरी फितरत नहीं।
हमें भी इनके साथ बस वैसे ही हमजोलियाँ निभाना है। हमें भी इनके साथ बस वैसे ही हमजोलियाँ निभाना है।
आसमान का पंछी हूँ फुरसत से एक दिन उड़ जाऊंगा। आसमान का पंछी हूँ फुरसत से एक दिन उड़ जाऊंगा।
माँ धरती का रूप, पिता आकाश हुआ करता है। माँ धरती का रूप, पिता आकाश हुआ करता है।
असंभव को संभव दुआएं ही कर पाती हैं। असंभव को संभव दुआएं ही कर पाती हैं।
हरियाली पर्व है मनाना, ज्यादा से ज्यादा पौधे है लगाना, पृथ्वी को हरा भरा है बनाना। हरियाली पर्व है मनाना, ज्यादा से ज्यादा पौधे है लगाना, पृथ्वी को हरा भरा...
गलती तेरी, दो न दोष कोरोना मढ़ ना देना। गलती तेरी, दो न दोष कोरोना मढ़ ना देना।
ये पल नहीं अमृत बूँदें हैं मैं वक्त बेवक्त पी लेती हूँ। ये पल नहीं अमृत बूँदें हैं मैं वक्त बेवक्त पी लेती हूँ।
मुझे आरजू बताने तो वो जरूर आएगा कोई गुफ्तगू सुनाने तो वो जरूर आएगा। मुझे आरजू बताने तो वो जरूर आएगा कोई गुफ्तगू सुनाने तो वो जरूर आएगा।
आ ना जाए कहीं सैलाब मयकदे में यहाँ बैठ कर अंजाम-ए-वफ़ा की बात ना कर। आ ना जाए कहीं सैलाब मयकदे में यहाँ बैठ कर अंजाम-ए-वफ़ा की बात ना कर।
रूठना मनाना भी एक प्रक्रिया है। रूठना मनाना भी एक प्रक्रिया है।
कि कैसे जिम्मेदारी, एक साफ माथे पर, चिंताओं की लकीरें खींच जाती है। कि कैसे जिम्मेदारी, एक साफ माथे पर, चिंताओं की लकीरें खींच जाती है।
प्रेम दुख के लिए नहीं असीम खुशी के लिए होता है। प्रेम दुख के लिए नहीं असीम खुशी के लिए होता है।