कविता
कविता
एक कविता है
ज़हन में मेरे जो हर सुबह
किसी हवा के झोंके की तरह
बहती है बहकती है महकती है
साथ मेरे।
एक याद है तेरी
मन के किसी कोने में
दुबकी हुई
कुछ जागी - सी है कुछ सोई हुई
यही याद तेरी।
कुमहलाई दोपहर में
बनकर कविता
चमकती है दहकती है पिघलती है
साथ मेरे।
एक ख्वाब है कोई या ख़्याल है तेरा
तकिये के नीचे
जागा हुआ सा
कोई कविता है शायद
सोने नहीं देती।
रात भर,
मचलती है लचकती है थिरकती है
साथ मेरे
एक कविता है
ज़हन में मेरे।