STORYMIRROR

Chitra Yadav

Abstract

4  

Chitra Yadav

Abstract

कविता

कविता

1 min
511

एक कविता है

ज़हन में मेरे जो हर सुबह

किसी हवा के झोंके की तरह

बहती है बहकती है महकती है

साथ मेरे।


एक याद है तेरी

मन के किसी कोने में

दुबकी हुई

कुछ जागी - सी है कुछ सोई हुई

यही याद तेरी।


कुमहलाई दोपहर में

बनकर कविता

चमकती है दहकती है पिघलती है

साथ मेरे।


एक ख्वाब है कोई या ख़्याल है तेरा

तकिये के नीचे

जागा हुआ सा

कोई कविता है शायद

सोने नहीं देती।


रात भर,

मचलती है लचकती है थिरकती है

साथ मेरे

एक कविता है

ज़हन में मेरे।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract