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मेरी ख़ामोशी को मेरी नाराज़गी समझ लेते हैं लोग मेरी ख़ामोशी को मेरी नाराज़गी समझ लेते हैं लोग
तन्हाई के कुछ लम्हे अपने साथ गुज़ारिए ! तन्हाई के कुछ लम्हे अपने साथ गुज़ारिए !
हमारी ख्वाहिशें हम से कहीं ज्यादा मज़बूत हैं! हमारी ख्वाहिशें हम से कहीं ज्यादा मज़बूत हैं!
तेरे 'इश्क' में जाना, तेरे 'इश्क' में जाना,
रिश्ते महज़ एक क्लिक के मोहताज होकर रह गए हैं रिश्ते महज़ एक क्लिक के मोहताज होकर रह गए हैं
हवाओं के मद्धम साज़ पर चिलमनों के थिरकते साये हवाओं के मद्धम साज़ पर चिलमनों के थिरकते साये
उसने भी शायद कुछ ऐसा ही किया था उसने भी शायद कुछ ऐसा ही किया था
रिश्ते वो तमाम यहां तो खुदगर्जी की भेंट चढ़ गए। रिश्ते वो तमाम यहां तो खुदगर्जी की भेंट चढ़ गए।
ज़रा पूछो इस शाम से ये चुप क्यों है। ज़रा पूछो इस शाम से ये चुप क्यों है।
मचलती है लचकती है थिरकती है साथ मेरे एक कविता है ज़हन में मेरे। मचलती है लचकती है थिरकती है साथ मेरे एक कविता है ज़हन में मेरे।