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LALITA MOHAN DASH

Abstract Inspirational

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LALITA MOHAN DASH

Abstract Inspirational

इन्तजार

इन्तजार

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आजकल हर पल मैं 

कविता की वारे में

सोचता ही रहता हूं


पल पल सांस गिनता हूं मेरे

व्याकुल प्रतीक्षा करता हूं

कब वो आयेगी

मेरे दिल से उतर कर

मोबाइल पे और

मुझे एक मामूली इंसान से

बना देगी कवि....ईश्वर...!!


पर उसकी आने की वक्त

मुझे पहले से 

कभी पता नहीं चलता

ऐसे में मुझे करना पड़ता है

सिर्फ उसकी इंतजार 


कविता हम जब चाहे

आती नहीं, वो अपनी

मर्जी से ही आती है


ऐसे हम शब्दों को 

जोड़ तोड़ कर

उसे सजधज करके

लिख सकते हैं कविता

पर वो कविता 

कविता होकर भी

कविता नहीं होती


उसमें वो चीज कहां ?

जो सीधा जाकर 

दिल में दस्तक देगी 

मचाएगी हलचल

प्राण को अजीब सी

सुकून मिलेगी

एक ही पल में दर्द सारे

बन जाएगी खुशियां


इसीलिए कविता 

कवि के लिए सिर्फ

शब्दों के खेल नहीं होती

शब्दों के इस कारीगरी को

अतिक्रमण करती है कविता

उस अनंत खामोशी को

कुरेदती है वो ,जिसे

शब्द सारे बन जाते हैं

खुशबूदार फूल ....कविता



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