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Satish Chandra Pandey

Inspirational

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Satish Chandra Pandey

Inspirational

इंसानियत को देख जिंदा

इंसानियत को देख जिंदा

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गीत भँवरे ने गाया

मैं वहां चुप खड़ा था

उसकी लय में बहक कर

मन मेरा गुनगुनाया।


सुगंधित सी हवा

फूल ने जब बिखेरी,

नासिका में समाई

मन मेरा मुस्कुराया।


देख तिरछी नजर से

त्वरित दी प्रतिक्रिया

कुछ नहीं कह सका तब

मन मेरा गुदगुदाया।


पड़े असहाय की जब

मदद वो कर रहे थे,

नैन से देखकर यह

तन-बदन खिलखिलाया।


निरी इंसानियत को

देख कर आज जिन्दा

खुशी से भर गया मैं

तन-बदन खिलखिलाया।


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