इंसानियत का धर्म
इंसानियत का धर्म
मानवीय मूल्यों की माला
विषय: इंसानियत का धर्म
मेरे दिल में है इक बात जो,
काश अगर वो सच हो जाए तो,
भेद मिट जाए सारे धर्मों का और,
इंसानियत का ही धर्म रह जाए तो।
मां और सास का भेद मिट जाए तो,
बहू और बेटी एक समान हो जाए तो ,
ननद और बहन समान दिख जाए तो,
भाई और देवर का फ़र्क मिट जाए तो।
झूठ इस दुनिया से अगर मिट जाए तो,
सच का बोलबाला अगर हो जाए तो,
लालच मन की अगर दूर हो जाए तो,
मन में संतोष अगर आ जाए तो।
खुदगर्ज़ी मन से अगर निकल जाए तो,
परोपकार का भाव जीवन में आए तो,
मैं और मेरा का त्याग अगर हो जाए तो,
सब के हित का ध्यान अगर आए तो।
लड़ाई झगड़े अगर खत्म हो जाएं तो,
आपसी बैर भी अगर मिट जाए तो,
अहंकार का नाश अगर हो जाए तो,
आपसी दुश्मनी का विनाश हो जाए तो।
मन के विकार अगर मिट जाएं जो,
मानवता सब के मन में जग जाए जो,
जीना बिलकुल ही आसान हो जाए तो,
ये जीवन सबका सफल हो जाए तो।