इन्सान
इन्सान
मैं घमंड हूँ मैं अहंकार हूँ मैं गुरुर हूँ
इनसान हूँ इसलिए मगरूर हूँ
सोचू तो मैं जनत की हूर हूँ
पर कर्मो से मैं इन्सान हूँ
जलन लालच से सरुर हूँ
द्वेष और अज्ञानता से भी भरपूर हूँ
भुला चुका हूँ मैं दया भावना
धन मद और नशे मे चूर हूँ
बन्धा हूँ मैं माया के जाल से
करता हूँ राज इस धरती पर
कहते है मुझे एक इन्सान।