STORYMIRROR

MR Unaad

Action

2  

MR Unaad

Action

इंक़लाब लिख आया हूँ मैं

इंक़लाब लिख आया हूँ मैं

1 min
261


मर के भी यारो आज

जीना सीख आया हूँ मैं

इश्क लिखने बैठता सरहद किनारे

और इंक़लाब लिख आया आया हूँ।


है वतन की मिट्ठी से

महोब्बत मुझे कुछ इस कदर

कि सरहद की हर चोटी पर

मैं नाम वतन का लिख आया हूँ।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Action