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Vijay Kumar उपनाम "साखी"

Abstract

4.5  

Vijay Kumar उपनाम "साखी"

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इल्ज़ाम किसको देता

इल्ज़ाम किसको देता

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जब मेरे अपनों ने ही दिल तोड़ा है, इल्ज़ाम किसको देता

जब शीशे ने ही अक्स को तोड़ा है, इल्जाम किसको देता


इस दिल के फूलो ने ही जब हमको शूलो सा दर्द दिया है,

सांसों ने ही जलाकर छोड़ा है, कत्ल करने का इल्जाम किसको देता


ये दुनिया बड़ी ही मतलबी है सुन ले प्यारे दोस्त विजय 

जब अपनों ने ही मुझे न समझा, गैरो को इल्जाम क्या देता,


खुद को ही बना ले तू भैया सबसे अच्छा उपाय यही है,

औऱ दुनिया मे तेरो खुद से ही दोस्ती सोलह आने सही है


जब ख़ुद से ही खुद का साथ छूट गया, इल्जाम किसको देता

पानी से जलने के बाद अब तो साखी तू खुद को संभाल लेता


अब इल्ज़ाम को भूल,ख़ुद को कर भी ले तू अब क़बूल,

दूध से पानी के मिलने के बाद तू पानी को क्या इल्ज़ाम देता।


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