काश
काश
इस काश में वो सब छुपा है
जिसे में पा न सकीं
जिसे में छू न सकीं
ये वो दिवा स्वप्न
जो हकीकत नहीं
एक प्यारा सा भरम
एक मीठा सा जख्म
देता रहता है हर पल
हिलोरें मचलते हुए
हर धड़कन की
हर सांस के साथ
इस पलती हुयी
हर काश के साथ।
इस काश में वो सब छुपा है
जिसे में पा न सकीं
जिसे में छू न सकीं
ये वो दिवा स्वप्न
जो हकीकत नहीं
एक प्यारा सा भरम
एक मीठा सा जख्म
देता रहता है हर पल
हिलोरें मचलते हुए
हर धड़कन की
हर सांस के साथ
इस पलती हुयी
हर काश के साथ।