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कार्त्तिक सेठी

Children

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कार्त्तिक सेठी

Children

हवा , झरना और गगन

हवा , झरना और गगन

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         हवा

         ~~~

हवा की मुस्कानें को देखकर

   कभी पूछा एक बात

इनकार न करती हुई

   बोली - हूँ , मैं सबका साथ ।।

न मित्र मेरे , न शत्रु कोई

  सब हैं एक जैसा

 सूर्य के सीखिसीखाए बात यह

 तुम भी करोगे ऐसा ।।

   


      झरना

       ~~~

खिलता हुआ झरना को देखो ,

    पानी कितना स्वच्छ हैं

प्यास बुझाता पथिक जनों के

    विचार अति उच्च है  ।।

धारा तो बह रही

     जैसे अमृत है ये लगन

कभी पूछा उसे एक दिन

किस काम में हो -मगन ?

बोला - भोला ,दीवाना हूँ मैं

चलता हूँ आगे , हो के मगन

कब मिल जाएँ मेरे भगवन !!


       गगन

       ~~~

यह नीले गगन देखो क्यों मगन

    बढ़ना है उस ओर

सिखाता है हमें मंजिल अपना

    बिलकुल नहीं दूर ।।

  छोटा न हो मन हमारा ,

   दिल में बदलाव के स्वर 

गुँज उठे जब अन्तर्मन से

   मिट जाए सब डर ।।



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